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बुनकरों की डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘बुनकर’ को मिला राष्ट्रीय अवार्ड

बनारस के बुनकरों के जीवन और कार्यशैली पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘बुनकर’ को 66 वें नेशनल अवॉर्ड 2018 में नान फीचर फिल्म कटेगरी के तहत बेस्ट आर्ट एंड कल्चर फिल्म का पुरस्कार दिया गया है। इस फिल्म में बुनकरों के जीवन की कठिनाइयों, उनकी कला की पृष्ठभूमि और बुनकरों की समस्याओं के समाधान के विषय को प्रमुखता से उठाया गया है। अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों की प्रतिक्रिया और उनके सुझाव भी लिए गए हैं।

फिल्म के निदेशक बलिया के चांदपुर गांव के निवासी सत्यप्रकाश उपाध्याय हैं जो करीब 10 वर्षों से मुंबई फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं। उन्होंने लगातार कई फिल्में बनाईं। बुनकर उनकी पहली डेब्यू फिल्म  है जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। सत्यप्रकाश ने बताया बचपन से ही बनारस से नाता रहा है। मैंने और मेरे फिल्म  की प्रोड्यूसर सपना शर्मा ने बनारसी साड़ियों को लेकर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की सोची थी।




इसके लिए हम बनारस आए। इसके बाद बुनकरों और सोशल वर्कर से भी हम मिले। धीरे-धीरे हम इस क्षेत्र की कठिनाइयों, कला, इतिहास सभी की गहराई में चलते चले गए। इस कला की बारीकियों को देखा ऐसे परिवारों से भी मिले जहां बुनकारी कई पीढ़ियों से की जा रही है मगर समस्याओं को देखते हुए आगे की पीढ़ी इसमें आना नहीं चाहती।


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